हार्मोन्स क्या होता है ? हार्मोन्स की कमी से होने वाले रोग और लक्षण।

जन्तुओ में होने वाली विशेष क्रियाए जैसे वृद्धि, विकास, प्रजनन, आदि का नियमन और नियंत्रण के लिए हमारे जन्तुओ में हार्मोन्स (Hormones) का सही मात्रा में होना जरुरी है। और हार्मोन्स अन्तःस्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) से उत्सर्जित होते है। तो आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की अंत: स्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) क्या होती है। अंतःस्त्रावी प्रणाली (Endocrine System) कैसे काम करता है। हार्मोन्स क्या होते है (What Is Hormones) हार्मोन्स कितने प्रकार के होते है (Types Of Hormones) हार्मोन्स की कमी से क्या होता है (hormones ki kami ke lakshan) आदि सभी जरुरी जानकारी जानेंगे।

लगभग सभी उच्च कशेरुकी (higher vertebrates) जन्तुओं के शरीर में तंत्रिका तंत्र तथा अन्तः स्त्रावी तंत्र (Endocrine Gland) द्वारा समन्वयन निर्धारित किया जाता है। कोशिकाओं के व्यवस्थित समूह को ही ऊतक (Tissue) कहा जाता है। यही ऊतक मिलकर अंग का निर्माण करते है। कुछ ऊतक या अंग विशेष प्रकार के रसायन, एंजाइम तथा हार्मोन का निर्माण करते है। जिन्हे ग्रंथि (Gland) कहा जाता है। या दूसरे शब्दों में हम कह सकते है की – शरीर की उपापचय क्रियाओ के लिए आवश्यक रासायनिक पदार्थों को स्त्रावित करने वाली तथा रचना एवं कार्य में विशिष्ट कोशिकाओं के समूह, ग्रन्थियाँ कहलाती है। तथा इन ग्रंथियों और कोशिकाओं से निकलने वाले जटिल कार्बनिक पदार्थ को हार्मोन्स (Hormones) कहते है।

एक शब्द में समझे तो ”ऐसी कोशिका जो हार्मोन का उत्पादन करती है या हार्मोन बनाती है उसे हम ग्रंथि कहते है”

ग्रंथियों को समझने से पहले हमें हार्मोन, एंजाइम, एवं जुस क्या होते है। इसे समझते है।

हार्मोन (Hormones), एंजाइम, एवं जुस क्या होते है।

Enzyme – एंजाइम एक तरह का प्रोटीन है जो कोशिकाओं के अंदर पाया जाता है। एंजाइम मानव शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करने में मदद करता है। एंजाइम भोजन को पचाने, माँसपेशियों के बनने और शरीर में विषाक्त पदार्थ खत्म करने के साथ शरीर के हजारों कामो को करने के लिए आवश्यक होते है।

हार्मोन (Hormones) – ये हमारी बॉडी में Chemical Messenger होते है। ये हमारी बॉडी में केमिकल के रूप में होते है, और केमिकल के रूप में ही मैसेज को एक दूसरे तक साँझा करने का काम करते है। हार्मोन कार्बनिक यौगिक होते है। हार्मोन का काम हमारी बॉडी में मैसेज को ट्रांसफर करना या हमारी बॉडी में तंत्रिका तंत्र के साथ जुड़ कर हमारी बॉडी में जितनी भी क्रियाये होती है उन सब पर कंट्रोल या रेगुलेट करना होता है। हार्मोन की खोज E.H. स्टार्लिंग ने सन 1902 में की थी। पहला खोजा गया हार्मोन सीक्रेटिन है।

Juice – इसके अंदर एंजाइम भी पाए जाते है। और जो काम एंजाइम का होता है वही काम जूस का भी होता है।

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ग्रंथिया कितने प्रकार की होती है ? Types Of Glands

ग्रंथिया तीन प्रकार की होती है।

  1. बहिःस्रावी ग्रंथि (Exocrine Gland) – ऐसी ग्रंथि जो एंजाइम या जूस बनाये बहिः स्रावी ग्रंथि कहते है। ऐसी ग्रंथि जिसने जुस और एंजाइम बनाया उसे ये नलिका जुड़ी होती है। इन नलिकाओं की सहायता से जूस और एंजाइम Target Cell तक पहुँचती है। बहिः स्त्रावी ग्रंथि जूस और एंजाइम को अपने पास नहीं रखती है, बाहर निकाल देती है। बहिःस्रावी ग्रंथि को ही Duct Gland कहते है।
  2. अन्तःस्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) – ऐसी ग्रंथि जो हार्मोन बनाये अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) कहलाती है।
  3. मिश्रित ग्रंथि – ऐसी ग्रंथि जो Juice, Enzyme, Harmon तीनो बनाये Mix Gland या मिश्रित ग्रंथि कहलाती है। अग्नाशय मिश्रित ग्रंथि होती है।

अंत:स्रावी ग्रंथि क्या होती है ? Endocrine Gland Meaning In Hindi

इस सिस्टम में हम हार्मोन के बारे में पढ़ते है। ये वाहिनी विहीन (Duct Less) होती है। जो अपना स्त्राव रक्त में छोड़ती है और यह स्त्राव निर्धारित अंग में पहुंचकर रासायनिक क्रियाओ का समन्वय करता है। अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित पदार्थों को हार्मोन (Hormones) कहते है। मानव शरीर में मौजूद ऐसी ग्रन्थियाँ जो हार्मोन स्त्रावित करती है, उनकी संख्या 9 है। मानव के शरीर में 9 अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) पायी जाती है, एवं इनके द्वारा अनेक प्रकार के एंजाइम स्त्रावित होते है।

आइये बारी-बारी से सभी, 9 अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland), उनसे निकलने वाले हार्मोन्स और इन मौजूदा हार्मोन्स की कमी और अधिकता से हमारे शरीर में होने वाले लक्षण और रोगो के बारे में जानते है।

(1) पीयूष ग्रंथि – Pituitary Gland

इसे मास्टर ग्लैंड (Master Gland) या Master Of Master कहा जाता है। मास्टर ग्लेंड, 7 एंडोक्राइन ग्लैंड (Endocrine Gland) को नियंत्रित करती है। यह दूसरे स्थान पर सबसे छोटी अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) है। पहले नंबर की सबसे छोटी अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) पीनियल है। हाइपोथैलेमस के साथ ही पियूष ग्रंथि जुड़ी होती है। पियूष ग्रंथि (Pituitary Gland) अग्र मस्तिष्क में पाई जाती है। यह मटर के दाने के आकार की होती है। इसका Size 3-4cm एवं वजन 0.5-0.6 gm होता है। यह ग्रंथि 11 हार्मोन निकालती है। यह सबसे ज्यादा हार्मोन रिलीज करने वाली ग्रंथि होती है। पियूष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित होने वाले हार्मोन निम्न है।

  1. FSH (फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन) – यह रिप्रोडक्टिव हार्मोन है। यह जनन की प्रक्रिया के काम में आता है। यह प्रजनन कोशिका को मेच्योर करने का काम करता है।
  2. LH (ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन) – यह एक प्रजनन हार्मोन है।
  3. ACTH (एड्रिनो कार्टिको ट्रोपीन हार्मोन) – यह एड्रिनल ग्रंथि को नियंत्रित तथा रेगुलेट करने का काम करता है।
  4. TSH (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) – यह थायराइड ग्रंथि को नियंत्रित करने का कार्य करता है।
  5. प्रोलैक्टिन हार्मोन – यह हार्मोन सिर्फ फीमेल में स्त्रावित होता है। इसे बर्थ हार्मोन कहते है। यह हार्मोन लड़कियों में स्तन ग्रंथियों को परिपक़्व करने का काम करता है। यह दूध बनाने वाली ग्रंथि में मदद करते है।
  6. GH(Growth Harmon) – यह कोशिकाओं व ऊतकों की ग्रोथ में सहायक होते है। इसे हाइट हार्मोन भी कहा जाता है। इसे सोमेटोट्रोपीन हार्मोन भी कहा जाता है। वृद्धि हार्मोन की कमी से बौनापन (Dwarfism) आ जाता है। एवं वृद्धि हार्मोन की अधिकता से भीमकाय (Gigantism) नामक रोग हो जाता है।
  7. ऑक्सीटोसिन हार्मोन (oxytocin hormone) – इस हार्मोन को बर्थ हार्मोन कहते है। यह हार्मोन फीमेल में होता है। यह हार्मोन प्रसव पीड़ा को कम करने में सहायक होता है। यह स्तन ग्रंथियों को परिपक़्व करने का काम करता है, इसे लव हार्मोन भी कहते है।
  8. ADH (एंटीडाईयुरेटिक हार्मोन/वेसोप्रेसिन हार्मोन) – यूरिन के अंदर पानी की मात्रा को नियंत्रित करने का काम करता है। यह हार्मोन पियूष ग्रंथि बनाती है। जो लोग एल्कोहल पीते है उनमे यूरिनेशन बढ़ जाता है।

पीयूष ग्रंथि – Pituitary Gland से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • बौनापन – यह बीमारी बचपन में वृद्धि हार्मोन की कमी से होता है।
  • भीमकायता -यह बीमारी बचपन में वृद्धि हार्मोन के अधिकता से होती है।

(2) Hypothalamus Gland – हाइपोथैलेमस ग्रंथि

यह एक प्रकार की Endocrine Gland है। यह ग्लेंड हमारे मस्तिष्क में मौजूद होती है। हाइपोथैलेमस अग्र मस्तिष्क के निचे की तरफ पाया जाता है इस ग्लैंड को Super Master Gland कहते है। यह ग्रंथि 4 प्रकार के हार्मोन (Hormones) स्त्रावित करती है।

  1. TRH (थायरोट्रोपीन रीलेजिंग हार्मोन) – यह अवटु (थाइराइड ग्रंथि) पर संतुलन बनाये रखता है। तथा पियूष ग्रंथि पर भी कण्ट्रोल करता है। मुख्य रूप से पियूष ग्रंथि को नियंत्रित करता है। TRH हार्मोन का काम बॉडी temperature को Regulate करना होता है। यह आतंरिक तापमान को नियंत्रित करने का काम करता है। TRH हार्मोन को तापमापी ग्रंथि कहते है।
  2. GnRH (गोनेडो ट्रोपीन रिलीजिंग हार्मोन) – यह हार्मोन लैंगिक या प्रजनन हार्मोन पर संतुलन बनाये रखता है। FSH एवं LH दो प्रजनन हार्मोन है जो पियूष ग्रंथि बनाती है।
  3. CRH (कार्टिको ट्रोपीन रिलीजिंग हार्मोन) – यह हार्मोन हमारे मस्तिष्क से मैसेज को पियूष ग्रंथि तक पहुंचाने का काम करता है।
  4. Dopamine Harmon – इसे न्यूरोट्रांसमीटर हार्मोन कहा जाता है। इसे Happiness Harmon कहा जाता है। हमें जो खुशी वाली फिलिंग होती है वो डोपामिन हार्मोन Fill करवाता है।

हाइपोथैलेमस ग्रंथि (Hypothalamus Gland) से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • पार्किन्स रोग – यह बीमारी डोपामिन हार्मोन के अनियंत्रित होने से होती है। यह बीमारी जब डोपामिन हार्मोन कम निकले या ज्यादा निकले तब होती है।
  • लक्षण –
    • इस बीमारी में Brain प्रभावित होता है।
    • Body में Vibration होता है।
    • अचानक मूड चेंज होगा।
    • फेस के जो एक्सप्रेशन होते है वह बदल जाते है।

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(3) पीनियल ग्रंथि – Pineal Gland

यह ग्रंथि मस्तिष्क में पाई जाती है। यह सबसे छोटी अन्तःस्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) है। यह थैलेमस से जुड़ी रहती है तथा इस ग्रंथि पर थैलेमस का कण्ट्रोल होता है। इस ग्रंथि को मानव की तीसरी आँख (यह केवल बच्चों में पाई जाती है। अगर बच्चे सोये रहे और उन्हें लगातार देखे तो उनकी आँख खुल जाती है) माना जाता है। हमारे शरीर में जैविक घड़ी होती है, उसे नियंत्रित करती है। यह ग्रंथि बच्चो में पाई जाती है। वयस्कों में यह ग्रंथि तन्तुमय ऊतक में बदल जाती है। इस ग्रंथि से निम्न हार्मोन निकलते है।

  1. सिरोटोनिन हार्मोन (serotonin hormone) – यह हार्मोन हमारे BP को बढ़ाने का काम करता है। यह हार्मोन BP को बनाये रखता है कम नहीं होने देता है।
  2. मेलाटोनिन हार्मोन (melatonin hormone) – यह हार्मोन मेलेनिन की मात्रा को नियंत्रित करता है। इसे बढ़ने नहीं देता है। इस हार्मोन का कार्य नींद लाना होता है, इसे Night Harmon भी कहते है। मेलाटोनिन हार्मोन के कम बनने से अनिंद्रा होती है। मेलाटोनिन हार्मोन को अँधेरे वाला हार्मोन (Harmon OF Darkness) कहा जाता है। यह हार्मोन दिमाग वाली कोशिकाओं की मरम्मत करने में सहायक होता है।

पीनियल ग्रंथि – Pineal Gland से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • आस्टियोपोरेसिस – हड्डी के द्रव्यमान के खराब प्रदर्शन से बीमारिया हो सकती है जैसे की हड्डियों का गंभीर रूप से बिगड़ना आदि।

(4) जनद ग्रंथि – जननपिंड – Gonad Gland

यह एक अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) है। गोनेड सेल से कम मात्रा में हार्मोन निकलते है। गोनेड सेल से निकलने वाले हार्मोन्स को गोनेडो कार्टिकॉइड हार्मोन कहा जाता है।

गोनेडो कार्टिकॉइड हार्मोन – इसके अंतर्गत तीन हार्मोन आते है या यह तीन सेक्स हार्मोन का समूह होता है। गोनेडो कार्टिकॉइड हार्मोन का प्रभाव वृषण तथा अण्डाणु द्वारा स्त्रावित हार्मोन के समान ही होता है। यह हार्मोन स्त्री तथा पुरुषो के प्रजनन अंगो के कार्यों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसमें निम्न तीन हार्मोन आते है।

  • एण्ड्रोजन – इसे नर हार्मोन कहा जाता है।
  • एस्ट्रोजन – इसे मादा हार्मोन कहते है।
  • प्रोजेस्ट्रॉन – इसे मादा हार्मोन कहते है।

जनद ग्रंथि – जननपिंड – Gonad Gland से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • गोनेडोकर्टिकॉइड हार्मोन की अधिकता – इसकी अधिकता से स्त्रियों में द्वितीयक लिंग जैसी विशेषता आने लगती है। जैसे – आवाज का भारीपन, स्तनों में कमी, दाढ़ी – मुंछ का आना आदि। जब एड्रिनल ग्लैंड से हार्मोन ज्यादा बनने लग जाता है तब कूसिंग सिंड्रोम नामक बीमारी होती है।
  • गोनेडोकर्टिकॉइड हार्मोन की कमी – इसकी कमी से एडिसन नामक रोग हो जाता है। जब एड्रिनल ग्रंथि से हार्मोन कम निकलता है तब यह रोग हो जाता है। इसके निम्न लक्षण है – IQ लेवल घट जाता है, वजन कम होने लगता है, शरीर सुख जाता है, Dry हो जाता है, वोमेटिंग आने लगती है।

(5) अधिवृक्क ग्रंथि – Adrenal gland

यह भी एक अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) है। यह ग्रंथि दोनों वृक्क (Kidney) के ऊपर होती है। यह ग्रंथि हमारे दोनों किडनी के ऊपर कैप Shape में जुड़ी रहती है। इस ग्रंथि को 4S Gland कहा जाता है। इसको 4S निम्न कारणों से कहा जाता है।

  1. Sugar Metabolism – शर्करा का उपापचय करना तथा ग्लूकोस का Break Down करना।
  2. Salt Retaining – लवण को नियंत्रित करना।
  3. Sex हार्मोन – लिंग हार्मोन का निर्माण करना।
  4. Source Of Energy – आपातकाल स्थिति में जब हमारे शरीर को एनर्जी की जरुरत होती है तब यह हार्मोन निकलता है। जैसे – कुत्ते के पीछे पढ़ने पर अचानक से दौड़ने की ताकत। दर की कंडीशन में यह हार्मोन निकलता है। अधिवृक्क ग्रंथि से दो हार्मोन स्त्रावित होते है।

अधिवृक्क ग्रंथि Adrenal gland से दो प्रमुख हार्मोन्स निकलते है।

  1. ग्लुकोकार्टिकॉइड हार्मोन – यह हार्मोन RBC की मात्रा को बढ़ाने का काम करती है। RBC की मात्रा ज्यादा होने पर ज्यादा एनर्जी मिलेगी यह हार्मोन WBC की मात्रा को कण्ट्रोल करने का काम करता है। यह WBC की मात्रा को ज्यादा नहीं होने देता है क्युकी WBC की मात्रा ज्यादा होने पर ब्लड कैंसर होता है। इस हार्मोन को जीवन रक्षक (Life – Saving) हार्मोन कहते है।
  2. एड्रिनल हार्मोन – यह हार्मोन शरीर की अनैच्छिक क्रियाओं (Involuntary Process) में सहायक है। जैसे – पाचन, श्वसन, Kidney Working, Heartbeat इनके कार्यो के संचालन में सहायक होते है। इस हार्मोन को आपातकालीन हार्मोन कहा जाता है, क्योकि यह आपातकाल के समय एनर्जी देता है। यह हार्मोन Heart और Brain के पास ब्लड पहुँचाता है। उसको बड़ा देता है। जब ब्लड सप्लाई ज्यादा हो जायेगा तब ब्लड ज्यादा पहुँचेगा और जब ब्लड ज्यादा पहुंचेगा तो O2 भी ज्यादा पहुंचेगा और ब्लड में एनर्जी भी होती है इसलिए आपातकाल के समय यह हार्मोन ज्यादा निकलता है। आपातकाल की स्थिति में जब – जब BP हाई होता है तब यह हार्मोन एक्टिवेट हो जाता है। इस हार्मोन को लड़ो या उड़ो (DO Or Die) हार्मोन कहते है। गुस्से के समय यह हार्मोन निकलता है क्युकी तब BP हाई होता है। इसे Body Guard Gland कहते है। इसे 3F कहते है 3F का मतलब F = Fear, Fight, Flight आदि। यह ग्रंथि दो भागो में विभाजित होती है।

अधिवृक्क ग्रंथि – Adrenal gland के दो भागो में बटी होती है।

  1. Adrenal Cortex
  2. Adrenal Medulla

Adrenal Cortex -यहाँ से कई स्टेरॉइड हार्मोन उत्पन्न होते है। जिन्हे कॉर्टिकोस्टेरॉइड हार्मोन कहा जाता है। कॉर्टेक्स के तीन भाग होते है।

  • बाह्य क्षेत्र – यहा से मिनिरेलो- कार्टिकॉइड हार्मोन स्त्रावित होता है। यह हार्मोन का एक समूह है। इससे दो हार्मोन स्त्रावित होते है।
    • मिनिरेलोकार्टिकॉइड हार्मोन – यह हार्मोन, हार्मोनो का एक समूह है। इसके अंतर्गत एल्डोस्टेरॉन तथा डिहाइड्रोएपिन्डोस्टेरॉन हार्मोन आते है। इन दोनों हार्मोनो में एल्डोस्टेरोन हार्मोन प्रमुख है।
    • एल्डोस्टेरॉन हार्मोन – सोडियम (Na) और पोटैशियम (K) का संतुलन बनाता है। मिनिरेलो – कार्डिकॉइड कॉर्टेक्स के बाह्य क्षेत्र की कोशिका द्वारा उत्पन्न होने वाला स्टेरॉइड हार्मोन का एक समूह है जो खनिजों की सांद्रता को नियंत्रित करता है।
  • मध्य क्षेत्र – मध्य क्षेत्र से ग्लुकोकोर्टीकोइड हार्मोन स्त्रावित होता है। ये हार्मोन रक्त में उपस्थित शर्करा की सांद्रता को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह हार्मोन शारीरिक तथा मानसिक तनावों के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। इस हार्मोन को जीवन रक्षक हार्मोन भी कहते है। ग्लुकोकार्डिकॉइड की अधिक मात्रा में स्त्रावित होने के कारण कुसिंग्स रोग हो जाता है।
  • आतंरिक क्षेत्र – यहॉ से सेक्स हार्मोन निकलते है। यह सेक्स हार्मोन गोनेडो कर्टिकॉइड होता है। सेक्स हार्मोन का नाम ही गोनेडो कार्टिकॉइड हार्मोन है।

Adrenal Medulla – इससे दो हार्मोन स्त्रावित होते है।

  1. एड्रिनेलिन या एपिनेफ्रीन
  2. नॉर एड्रिनेलिन या नॉर एपिनेफ्रीन

अधिवृक्क ग्रंथि – Adrenal gland से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • एडिसन का रोग – मिनेरेलो – कॉर्टिकॉइड और ग्लुकोकार्टिकॉइड हार्मोन के कम मात्रा में स्त्रावण से यह रोग होता है।
  • कुशिंग रोग – कार्टिसोल हार्मोन के अधिक मात्रा में स्त्रावण से यह रोग होता है।

(6) अग्नाशय ग्रंथि – Pancreatic Gland

यह एक मिश्रित ग्रंथि है। जिसमे अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) एवं बहिः स्त्रावी ग्रंथि दोनों के भाग होते है।

अग्नाशय में चार प्रकार की सेल पाई जाती है।

  1. α-Cell (Alfa Cell) – यह सेल ग्लुकेगोन हार्मोन बनाती है। ग्लुकेगोन की खोज – किम्बोल व मुरलिन ने की थी। यह हार्मोन ब्लड के अंदर जब ग्लूकोस की कमी हो जाती है तब यह स्टोर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित कर देता है।
  2. β-Cell (Beta Cell) – यह सेल इन्सुलिन हार्मोन स्त्रावित करती है। इन्सुलिन की खोज – बैन्टिन व बेस्ट ने की थी। इन्सुलिन हार्मोन के निर्माण में Zn खनिज पदार्थ होता है। इन्सुलिन की कमी इ डायबिटीज (मधुमेह) रोग हो जाता है।
  3. δ-Cell (Delta Cell) – यह सेल सोमेटोस्टेनिन हार्मोन स्त्रावित करती है। यह हार्मोन पाचन की क्रिया BMR (बेसल मेटाबॉलिक रेट) को नियंत्रित करती है। यह हार्मोन BMR आधार उपापचयी दर को रेगुलेट करता है। सोमेटोस्टेनिन हार्मोन के अनुसार हर 500 ग्राम का पाचन 5 घंटे में होना चाहिए।
  4. F-Cell – यह पैन्क्रिएटिक जूस बनाती है। इस रस में एंजाइम होता है।

अग्नाशय ग्रंथि – Pancreatic Gland से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • मधुमेह – इन्सुलिन हार्मोन के कम मात्रा में स्त्रावित होने से यह बीमारी होती है।
  • हाइपोग्लाइसीमिया – इन्सुलिन हार्मोन के अधिक मात्रा में स्त्रावित होने से यह बीमारी होती है।

(7) थायराइड ग्रंथि – Thyroid Gland

इस ग्रंथि का आकार H Shape या Butterfly के आकार की होती है। यह श्वास नली के दोनों ओर होती है। यह सबसे बढ़ी अन्तः स्त्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) है। इसका Size – 2.5cm. एवं Weight – 5 ग्राम होता है। थायराइड ग्रंथि थायरॉक्सीन हार्मोन का स्त्रावण करती है।

थायरॉक्सिन हार्मोन – यह वृद्धि हार्मोन को सक्रीय करने का काम करता है। यह ग्रंथि आयोडीन का संतुलन करती है। अगर आयोडीन की कमी हो जाती है तो इस ग्रंथि पर सूजन आ जाती है। थायराइड ग्रंथि पर सूजन आना ही घेंघा रोग कहलाता है। थायरॉइड हार्मोन का स्त्रावण कम होने पर, ग्रंथि जहर मानती है तथा स्वतः पाचन करने लगती है। तो इस बीमारी को हाशिमोटो रोग कहते है। ग्रंथि धीरे-धीरे खुद समाप्त होने लगती है।

थायरॉइड ग्रंथि से निम्न तीन हार्मोन निकलते है।

  1. ट्राइआयडोथायरोनिन
  2. थायरॉक्सिन
  3. थायरोकेल्सिटोनिन

थायराइड ग्रंथि भोजन से थायरॉक्सिन, थायरोकेल्सिटोनिन हार्मोन्स बनाने के लिए आयोडीन का उपयोग करती है।

थायराइड ग्रंथि – Thyroid Gland से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • जड़मानवता – यह रोग भ्रूण में या शिशु अवस्था में थायराइड के कम मात्रा में स्त्रावित होने से होता है।
  • गलगण्ड – यह रोग थायराइड ग्रंथि के अधिक मात्रा में स्त्रावित होने से होता है।

(8) पैराथायराइड ग्रंथि (परावटु) – Parathyroid Gland

यह ग्रंथि थायराइड ग्रंथि के चारो ओर होती है। यह ग्रंथि (Gland) एक ही हार्मोन बनाती है। यह हार्मोन शरीर में केल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करता है। पैराथायरॉइड व थायरोकेल्सिटोनिन इन दोनों हार्मोन को Counter Act हार्मोन इसलिए कहते है क्योकि यह दोनों हार्मोन ब्लड की मात्रा को संतुलित करते है।

  1. पैराथायरॉइड हार्मोन – यह हार्मोन हड्डियों में ज्यादा मात्रा में कैल्शियम होने पर, रुधिर के पास पंहुचा देता है इसलिए इस हार्मोन को कोलिप्स हार्मोन भी कहते है, साथ ही काउंटर एक्ट हार्मोन भी कहते है।
  2. थायरोकेल्सिटोनिन – यह हार्मोन ब्लड में जब ज्यादा मात्रा में कैल्शियम हो जाता है तो यह ब्लड से कैल्शियम हड्डियों तक ले जाता है। इसे काउंटर एक्ट हार्मोन कहते है।

पैराथायराइड ग्रंथि (परावटु) – Parathyroid Gland से निकलने वाले हॉर्मोन्स (Hormones) की कमी या अधिकता से होने वाले रोग और लक्षण।

  • टिटेनी – पैराथार्मोन की कमी से यह रोग होता हैं।
  • आस्टियोपोरोसिस – पैराथार्मोन के अधिक मात्रा में स्त्रावण से यह रोग होता है।

(9) थाइमस ग्रंथि – Thymus Gland

यह ग्रंथि स्टर्नम (उरोस्थि) के पीछे होती है। यह ग्रंथि थाइमोसिन हार्मोन का निर्माण करती है। यह हार्मोन B व T लिम्फोसाइड का विकास करता है। थाइमोसिन हार्मोन उम्र बढ़ने के साथ – साथ कम निकलता है। इस हार्मोन के कम निकलने से प्रतिरक्षा तंत्र (Immunity System) कमजोर हो जाता है तथा कई तरह की बीमारियां होने लगती है।

थाइमोसिन हार्मोन – 20 वर्ष या व्यस्क में यह ज्यादा मात्रा में ज्यादा स्ट्रॉन्ग पाया जाता है। थाइमस ग्रंथि का आकार 0-30 तक बढ़ता है तथा फिर वह उम्र के साथ घटने लगता है। समय के साथ – साथ यदि आकार बढ़ता तो लिम्फोसाइड का विकास अधिक होता है तथा WBC का विकास अधिक होने रोग – प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। लेकिन अधिक उम्र वाले की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है क्योकि थाइमस ग्रंथि का आकार घटता है तथा बीमारियां ज्यादा होती है।

उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपको आज की इस पोस्ट से अंत: स्रावी ग्रंथि (Endocrine Gland) क्या होती है। अंतःस्त्रावी प्रणाली (Endocrine System) कैसे काम करता है। हार्मोन्स क्या होते है (What Is Hormones) हार्मोन्स कितने प्रकार के होते है (Types Of Hormones) हार्मोन्स की कमी से क्या होता है (hormones ki kami ke lakshan) आदि सभी जरुरी जानकारी जानने को मिली होंगी।

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